इलाहाबाद हाईकोर्ट ने होमगार्डों की सेवा नियमावली बनाने का दिया सुझाव

 

Anis Ahamad Bakshi

आदेश में कहा- होमगार्ड की सेवा बतौर वालंटियर है

इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ ने होमगार्ड सेवा को सिविल पद धारक (सरकारी कर्मचारी) मानने संबंधी एकल पीठ के आदेश को रद कर दिया है। खंडपीठ ने कहा है कि होमगार्ड की सेवा वालंटियर सेवा है, वे सिविल पद धारक नहीं हो सकते हैं। उन्हें अनुच्छेद 311 का लाभ नहीं मिलेगा।



हालांकि कोर्ट ने यूपी होमगार्ड अधिनियम की धारा 12 में दी गईं शक्तियों के उपयोग के क्रम में होमगार्ड के निलंबन अथवा सेवामुक्ति के लिए सेवा नियमावली बनाने का सुझाव दिया है ताकि किसी भी सदस्य की सेवामुक्ति या निलंबन की शर्तों को विनियमित किया जा सके।

आदेश की प्रति प्रमुख सचिव व होमगार्ड विभाग के सचिव को भेजने का निर्देश कोर्ट ने दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार की तरफ से दाखिल विशेष अपील स्वीकार करते हुए दिया है।

कोर्ट ने कहा, यूपी होमगार्ड अधिनियम के तहत कमांडेंट होमगार्ड के किसी भी सदस्य की सेवा समाप्त या निलंबित कर सकता है। इसके लिए कोई निर्धारित प्रविधान नहीं है, इसलिए इसको विनियमित करने की जरूरत है।

एकल पीठ ने कमांडेंट द्वारा बर्खास्त होमगार्ड की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसकी सेवा को सिविल सेवक के रूप में माना था। साथ ही बर्खास्तगी के आदेश को रद कर दिया था। एकल पीठ ने नौ सितंबर 2021 के आदेश में कहा था कि होमगार्ड यूपी होमगार्ड अधिनियम की धारा सात के तहत वालंटियर के रूप में रजिस्टर्ड होकर धारा आठ के तहत ड्यूटी पर तैनात किए जाते हैं।

ड्यूटी पर तैनाती के दौरान वह सरकार की सेवा में रहते हैं, इसलिए सिविल सेवक माने जाएंगे। उनके मामले में भी सरकारी सेवकों की भांति भारतीय संविधान की धारा 311 के तहत कार्रवाई की जाए। प्रदेश सरकार ने इस आदेश को विशेष अपील के जरिए चुनौती दी।

सरकारी अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने तर्क दिया कि एकल पीठ ने एक शब्द के आधार पर होमगार्ड को सरकारी कर्मचारी मान लिया। होमगार्ड सेवा में कोई परीक्षा पास करके नहीं आता। होमगार्ड बतौर वालंटियर जुड़ते हैं और स्वेच्छा से सेवा देते हैं।

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