टोल टैक्स पर 'ट्रोल' हो रही सरकार


Dharmendra Seth              


जौनपुर

सड़क निर्माण में लगे खर्चे की भरपाई के लिए सरकार द्वारा टोल टैक्स लिया जाता है। इसे वसूलने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों पर जगह जगह टोल प्लाजा बनाये गये है। इस टोल टैक्स का उपयोग सड़कों के निर्माण व रखरखाव के लिए किया जाता है। इसके साथ ही वाहन चालकों को आवश्यक सुविधायें मुहैया कराना टोल प्लाजा की जिम्मेदारी है। हकीकत यह है कि अधिकांश टोल प्लाजा पर जन सुविधाओं का अभाव है। पीने का पानी, शौचालय, सुरक्षा एवं चिकित्सकीय सुविधायें नदारद हैं। सड़कें खस्ताहाल है। हाई-वे पर पेट्रोलिंग वाहन घूमते रहना चाहिए जिससे कोई सड़क दुर्घटना होने पर पीड़ित को तत्काल मदद पहुंचाई जा सके मगर इसमें भी टोल प्लाजा अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं कर रहा है। बीते अप्रैल महीने में नेशनल हाई-वे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने टोल टैक्स बढ़ा दिया। उसके बाद भी राहगीरों व वाहन चालकों को सुविधायें नहीं मिल रही है।

नियमों के पालन में भी मनमानी



टोल टैक्स देने के लिए फास्ट टैग सुविधा शुरू होने के बाद भी टोल प्लाजा पर लम्बी लाइन लगी रहती है जबकि  नियम के मुताबिक एक लाइन में भीड़ के समय प्रति लेन वाहनों की संख्या 6 से अधिक नहीं होनी चाहिए। प्रत्येक वाहन पर 10 सेकेण्ड से अधिक समय नहीं लगना चाहिए। यदि किसी वजह से वाहनों को 100 मीटर से अधिक लंबी लाइन पर इंतजार करना पड़े तो सभी वाहनों को टोल टैक्स दिए बिना जाने देने की अनुमति होगी। इनका पालन शायद ही कहीं किया जाता हो।


स्थानीय लोगों को भी नहीं मिल रही छूट


नियम के अनुसार टोल प्लाजा के 20 किमी के दायरे में रहने वाले वाहन चालकों को टोल टैक्स नहीं चुकाना पड़ता। सरकार ने स्थानीय लोगों को टैक्स से राहत देने के लिए यह नियम बनाया था। इसके लिए प्लाजा के पास रहने वाले निजी वाहन चालकों के कार्ड बनाये जाने थे। जिसे दिखाकर वे बिना टैक्स दिए जा सकें मगर विभाग स्थानीय रहवासियों को भी नहीं बख्श रहा है। किसी भी टोल प्लाजा पर इस नियम का पालन नहीं हो रहा है।

मनमानी के चलते अक्सर होती है मारपीट

टोल प्लाजा पर अक्सर मारपीट की घटनायें प्रकाश में आती है। इसकी मुख्य वजह कर्मचारियों द्वारा की जा रही मनमानी है। विरोध करने पर टोल प्लाजा के कर्मचारी मारपीट पर उतारू होते हैं। इसका खामियाजा कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने वाले विभाग को भुगतना पड़ता है।

सुविधाजनक यात्रा की बजाय फजीहत

नेशनल हाई-वे अथॉरिटी सुविधाजनक यात्रा मुहैया कराने के नाम पर टोल टैक्स वसूलती है मगर खस्ताहाल सड़कों की वजह से यात्री फजीहत झेलते हैं और दुर्घटना के भी शिकार हो रहे हैं। सड़को पर जगह-जगह गड्ढे बन गये हैं। बरसात में सड़कों का और भी बुरा हाल है। आधे-अधूरे सब-वे पर यात्रा करना खतरे से खाली नहीं है। नियमित टोल टैक्स देकर गुजरने वाले यात्री जोखिम भरा सफर करने को मजबूर हैं।

लागत निकलने के बाद भी वसूली जारी

आंकड़े के मुताबिक पूरे देश में 700 से अधिक टोल प्लाजा है। इसमें 101 उत्तर प्रदेश में है। टोल राजस्व देने में उत्तर प्रदेश का पूरे देश में पहला स्थान है। जिन राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल प्लाजा बनाये गये हैं, उसमें से एक तिहाई के निर्माण की लागत सरकार टोल टैक्स के माध्यम से वसूल चुकी है फिर भी वसूली निर्बाध गति से जारी है।

पंजाब सरकार के निर्णय के बाद बड़ा दबाव

गत वर्ष पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने टोल टैक्स को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया था। सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक-एक करके पुराने करीब एक दर्जन टोल प्लाजा को बंद करवा दिया। टोल प्लाजा बंद होने से वहां के वाहन चालकों में काफी खुशी है। पंजाब में पुराने टोल प्लाजा बंद होने के बाद अन्य राज्यों में इसकी मांग उठने लगी है। सरकारों पर नैतिक दबाव बनने लगा है।

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