गुरु पूर्णिमा' गुरु और शिष्य के बीच का अटूट प्रेम का प्रतीक


गुरु पूर्णिमा' गुरु और शिष्य के बीच का अटूट प्रेम का प्रतीक


आइडियल इंडिया न्यूज़
लवकुश पाण्डेय कुशीनगर

 परमहंस आश्रम के साहित्य से साभार

 गुरु पूर्णिमा पर्व प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस पर्व को गुरु पूजा या व्यास पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व जीवन में ज्ञान के महत्व को दर्शाता है। शास्त्र का वचन है कि ज्ञान के बिना मुक्ति नहीं मिलती। मुक्ति की बात भी छोड़ कर देखें कि ज्ञान के अभाव में हमारा जीवन क्या है?
इस वर्ष यह पर्व 21 जुलाई को पड़ रहा है। जो आध्यात्मिक पथ के पथिक हैं और सौभाग्य से जिनके जीवन में तत्वनिष्ठ, तत्वदर्शी सद्गुरु का प्रवेश हो चुका है उनके लिए यह पर्व बहुत ही विशेष है। ऐसे सभी गुरुभक्तों को गुरु दर्शन एवं गुरु जी से आशीर्वाद प्राप्त करने की लालसा होती है। जहां तक संभव हो,इस दिन गुरु दर्शन अवश्य करना चाहिए। किसी कारण वश यदि यह संभव न हो तो प्रातः काल उठकर शौचादि से निवृत्त होकर भगवान व्यास एवं अपने गुरुदेव का पूजन करना चाहिए। इस दिन सत्संग, सेवा,दान आदि का बड़ा महत्व है।
 गुरु पूर्णिमा एक प्रमुख हिंदू पर्व है, जिसे गुरु के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन का महत्व गुरु-शिष्य परंपरा में अत्यधिक है और यह पर्व आषाढ़ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा का पर्व विशेष रूप से महाभारत के रचयिता और चारों वेदों के व्याख्याता महर्षि वेद व्यास जी के सम्मान में मनाया जाता है। वेद व्यास जी ने हमारे समाज को ज्ञान का अपार भंडार प्रदान किया और वेदों को संहिताबद्ध किया।गुरु पूर्णिमा पर लोग अपने गुरुओं की पूजा करते हैं और उन्हें सम्मानित करते हैं। यह दिन शिक्षकों और गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है, जिन्होंने हमें सही मार्ग दिखाया और हमारे जीवन को संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान माता-पिता के बराबर माना जाता है और उन्हें ईश्वर के समकक्ष माना गया है।उदाहरण के रूप में, जब कोई छात्र अपने शिक्षक के प्रति आभार प्रकट करना चाहता है, तो वह गुरु पूर्णिमा के दिन विशेष पूजा का आयोजन कर सकता है। इसमें छात्र अपने गुरु को माला पहनाकर, चरण स्पर्श कर, और मिठाई या उपहार देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करता है। इस प्रकार की परंपरा न केवल भारत में, बल्कि नेपाल और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में भी प्रचलित है।इस दिन विद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में भी विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। विद्यार्थी अपने शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम, भाषण और अन्य गतिविधियों का आयोजन करते हैं। गुरु पूर्णिमा का पर्व न केवल शिक्षा के क्षेत्र में, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में गुरु के महत्व को रेखांकित करता है।गुरु पूर्णिमा का महत्व भारतीय संस्कृति और परंपरा में अनंत है। यह पर्व हमें हमारे गुरुओं के प्रति हमारी जिम्मेदारी और कर्तव्य का स्मरण कराता है। इस दिन, हम अपने गुरुओं से जीवन के महत्वपूर्ण सबक सीखते हैं और उनसे मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं, जो हमारे जीवन को सही दिशा में आगे बढ़ाने में मदद करता है।

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