बदलता जा रहा सम्मान का स्वरुप हाय,

 



बदलता जा रहा सम्मान का स्वरुप हाय, 

पहले आयु से सम्मान मिलता था 

अब सम्मान मिलता है उसको जिससे बहुत है आय।।

**********************

गांव -नगर में दर -दर भटकती फिर रही है गाय,।

 कोई उनके हितार्थ शासन -प्रशासन को नहीं दे रहा है उचित राय।।

**************************

बांग्लादेशी घुसपैठियों के चोरी भिक्षाटन से पूरा भारत वर्ष परेशान है, 

शासन -प्रशासन क्यों बन गया है गाय।।

सम्मान को उचित गरिमामयी बनाने के लिए

 उचित पात्र लोगों को सम्मानित किया जाय ।। 

****************************

आय को आड़े- हाथों लेकर किसी को भी

 सम्मान नहीं दिया जाय।।

बदलता जा रहा सम्मान का स्वरुप हाय ।।

***********************

-- इन्द्रजीत तिवारी निर्भीक -

वाराणसी, उत्तर प्रदेश।

मो.-6306057870,9450364292

Post a Comment

Previous Post Next Post