बदलता जा रहा सम्मान का स्वरुप हाय,
पहले आयु से सम्मान मिलता था
अब सम्मान मिलता है उसको जिससे बहुत है आय।।
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गांव -नगर में दर -दर भटकती फिर रही है गाय,।
कोई उनके हितार्थ शासन -प्रशासन को नहीं दे रहा है उचित राय।।
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बांग्लादेशी घुसपैठियों के चोरी भिक्षाटन से पूरा भारत वर्ष परेशान है,
शासन -प्रशासन क्यों बन गया है गाय।।
सम्मान को उचित गरिमामयी बनाने के लिए
उचित पात्र लोगों को सम्मानित किया जाय ।।
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आय को आड़े- हाथों लेकर किसी को भी
सम्मान नहीं दिया जाय।।
बदलता जा रहा सम्मान का स्वरुप हाय ।।
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-- इन्द्रजीत तिवारी निर्भीक -
वाराणसी, उत्तर प्रदेश।
मो.-6306057870,9450364292

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