अंदर - अंदर झूठ का ताना-बाना है..
परिचय सम्मेलन सह काव्य संध्या साहित्य सभा द्वारा आयोजित
मऊ ब्यूरो
(मऊ), उत्तर प्रदेश साहित्य सभा जनपद -मऊ इकाई द्वारा आयोजित परिचय सम्मेलन व काव्य संध्या का आयोजन सोमवार को माँ चंद्रा एडवोकेट एसोसिएट के सभागार में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन स्थानीय साहित्य सभा के संरक्षक वीरेन्द्र बहादुर पाल एडवोकेट ने किया तथा अध्यक्षता डा० कमलेश राय एवं संचालन संस्था के संयोजक अशोक कुमार ' अश्क चिरैयाकोटी ' ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ विशाल पाण्डेय की सरस्वती वंदना - वर दे वीणावादिनि वर दे,प्रिय स्वतंत्र रव अमृत नव रस भर दे।। से हुआ। तत्पश्चात आयोजन के प्रथम सत्र में संस्था के सभी पदाधिकारियों एव सदस्यों का माल्यार्पण कर स्वागत करते हुए परिचय कराया गया।
तत्पश्चात संयोजक /प्रधान अश्क चिरैयाकोटी ने साहित्य सभा के उद्देश्य से सभी साहित्यकारों को अवगत कराया।द्वितीय सत्र के काव्य संध्या में गजलकार हरिलाल ' कृषक ' ने - वृद्धों की देखभाल पे भी बात कुछ करो, फिर बाद उसके करना जवानी पे शायरी।। सुनाकर युवाओं को बुजुर्गों के प्रति अपने दायित्व का बोध कराया। उसके बाद लाल बहादुर सिंह ने - गंगा यमुना बहती रहती भारत की जिस माटी में,आतंकी कब कैसे पनपे केसरवाली घाटी में।। सुनाया। डा० सूर्यभूषण द्विवेदी ने सुनाया - बाती की सुगंध बता रही है दिया अभी - अभी बुझा है। कृष्णदेव ' घायल ' ने भोजपुरी भाषा में सुनाया - बात मानी न मानी कहे के परल, दर्द जिनगी क सगरो सहे के परल।। हास्य कवि अजय कुमार सिंह की कविता - कुल अपनय त हौ, लूटता न ।। सुनकर लोगों ने खूब ठहाके लगाये। मनोज कुमार सिंह ने प्रदूषित वातावरण के प्रति लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि हम रोज जहर पीते हैं,फिर भी नीले नहीं होते। इस अवसर वीरेन्द्र बहादुर पाल एडवोकेट ने कहा कि साहित्य समाज का आईना है। किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व उसको पढ़ने से पता चलता है। मानव मस्तिष्क में नाना प्रकार की भ्रांतियां हैं। जिन्हें साहित्य दूर करता है। साहित्य सेवा मंत्र है, जिससे पूरा समाज लाभान्वित होता है। साथ उन्होंने साहित्य सभा को सदैव अपना भरपूर सहयोग देने का आश्वासन दिया। वहीं अश्क चिरैयाकोटी ने अपने सामाजिक परिवेश पर करारा प्रहार करते हुए सुनाया कि - आये भी सच बाहर तो कैसे आये,अंदर - अंदर झूठ का ताना-बाना है।। अंत में डॉ कमलेश राय ने बहू बनी बेटी के दर्द को रेखांकित करते हुए - धिया कहवां अरजिया लगइहयं कि केसे सुनवाई मंगिहयं।। सुनाकर लोगों को भाव विभोर कर दिया। साथ ही उन्होंने सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। इनके अलावा सुरेंद्र सिंह ' चांस ' , मृत्युंजय तिवारी,उमेश मिश्र आदि लोगों ने अपने काव्यपाठ से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर बृजभान पाल एडवोकेट, माणिक चंद्र शर्मा,जे०पी०सिंह,अजय सिंह, कैलाश भारद्वाज, विष्णु वर्मा,सर्वेश प्रजापति, लक्ष्मण भारद्वाज आदि लोग उपस्थित रहे।





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